आज़ाद हुए तो लगा कैद परिंदो को लगा परवाज़।
दैनिक जागरण से साभार:-
15 अगस्त 2020।।
15 अगस्त 1947 हिंदुस्तान के इतिहास का स्वर्णिम दिन है।जब ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से आज़ादी मिलने की घोषणा हुई।इस पल से पूरी देश खुसी से झूम उठा।
ऐसा लगा मानो वर्षो से पिंजरे में कैद परिंदो को खुली हवा में परवाज़ करने की छूट मिल गयी हो।बड़े ,बूढ़े रहे हो या बच्चे या फिर महिलाएं।हर किसी को उम्मीद जावा हो उठी थी कि अब कोई न रंजिस होगा और न तो कोई बंदिश।यह कहना रहा आज़ादी के पल के गवाह भदोही जिले के सोनेचा गांव निवाशी वैद्य श्री श्री नारायण पांडेय जो 106 वर्ष के हो चुके है।आज भी उनके जेहन में ये याद ताजा है।उनके मुताबिक वो एक ऐसा जश्न था जो फिर कभी देखने को नही मिला ।
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